bhagavaan kee bhakti: maaya ke bandhanon se mukti aur shreejee ke charanon mein sachchee sharan:भगवान की भक्ति संसार की माया और भगवान की शरण: मोह-माया से मुक्ति का मार्ग भगवान की भक्ति.

भगवान का प्रेम: सच्चा और निस्वार्थ…..

God's love: true and selfless...
                                                 Credit of this image by:-Bhajan Marg Youtube channel.

गुरुदेव भगवान, हमने संसार में जिन लोगों को अपना आश्रय मानकर जीवनसाथी चुना और जीवन समर्पित कर दिया, उन्हीं लोगों ने हमें ठुकरा दिया और जीवन के मंझधार में अकेला छोड़ दिया। इतना कुछ होने के बावजूद, उनके प्रति हमारे मोह और आसक्ति का अंत हो गया और अब हमारे मन में केवल श्रीजी के चरणों की भक्ति रह गई। यह एक अद्भुत परिवर्तन था, जो केवल भगवान की कृपा और उनके मार्गदर्शन से संभव हुआ।

माया का जाल और हमारी उलझन

संसार की माया हमें भ्रमित करती है। यह हमें

सिखाती है कि हम जिन लोगों से प्रेम करते हैं, वे हमारे जीवन का आधार हैं। लेकिन जब वही लोग हमें ठुकराते हैं, तो हमारा मन उन्हें छोड़ नहीं पाता। हम उनकी यादों में बंधे रहते हैं, जबकि हमें समझने की आवश्यकता है कि यह सब माया का खेल है।

एक बार, मारकंडे जी के आश्रम के पास सूरत नामक एक वैश्या और एक राजा मिले। राजा से पूछा गया, “आप यहां जंगल में क्यों आए हैं?” राजा ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य छिन गया है, परंतु मेरा मन अभी भी उसी सिंहासन, महल और रानियों में बंधा हुआ है। मैं उन्हें भूल नहीं पा रहा हूं।”

वैश्या ने अपनी स्थिति बताते हुए कहा, “मुझे मेरे बेटे ने घर से निकाल दिया और मेरी सारी संपत्ति छीन ली। पर मेरा मन अब भी उसी के लिए तड़प रहा है।” यह दोनों ही माया के जाल में फंसे हुए थे। वे अपनी भौतिक चीज़ों से अलग नहीं हो पा रहे थे, भले ही वह चीज़ें अब उनके जीवन में नहीं थीं।

महापुरुष का उपदेश: माया का प्रभाव

दोनों ने मारकंडे जी के आश्रम में जाकर महापुरुष से अपनी समस्या बताई। महापुरुष ने सुनने के बाद कहा, “यह भगवती माया का प्रभाव है। यह माया हमें इस प्रकार बांधती है कि हम जिन चीज़ों के लिए तड़पते हैं, वे असल में हमें कभी शांति नहीं देतीं। जब तक हम भगवान के भक्त नहीं बनते, माया हमें धोखा देती रहती है। भगवान का भजन और सत्संग ही एकमात्र उपाय है जिससे हम इस मोह-माया से मुक्त हो सकते हैं।”

मारकंडे जी ने यह भी बताया कि जब हम भगवान के हो जाते हैं, तब माया हमें प्रभावित नहीं कर पाती। भगवान के प्रति सच्चा प्रेम और समर्पण ही हमें इस संसार के बंधनों से मुक्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम भगवान के सच्चे भक्त बन जाएं, तो संसार की माया हमें और धोखा नहीं दे सकती।

सत्संग का महत्व: बुद्धि की पवित्रता

Bhagavaan kee bhakti भगवान की भक्ति:- सत्संग का महत्व अत्यधिक है। सत्संग सुनते-सुनते हमारी बुद्धि पवित्र हो जाती है और धीरे-धीरे हमें समझ आने लगता है कि जिन लोगों के लिए हम रो रहे थे, जिन्होंने हमें ठुकराया, वे भी माया के प्रभाव में ही थे। रत्नावती की कहानी इसका एक सुंदर उदाहरण है। वह एक परी रानी थी, लेकिन जब वह वृंदावन आई और संतों के संगत में आई, तब उसका मन गोविंद के चरणों में लग गया। सत्संग ने उसके जीवन को बदल दिया और उसे भगवान की भक्ति में डुबो दिया।

Credit of this image by:-Bhajan Marg Youtube channel.

भगवान का असीम प्रेम और संसार की अस्थिरता

यह संसार अस्थिर है। लोग हमें तब तक प्यार करते हैं जब तक उनके अपने स्वार्थ पूरे होते हैं। लेकिन भगवान का प्रेम निस्वार्थ होता है। वह अपने भक्तों को कभी ठुकराते नहीं हैं। सबरी माता जैसी साधारण भक्त को भी भगवान ने अपनाया। भगवान केवल उन्हीं को अपनाते हैं जो उन्हें सच्चे मन से पुकारते हैं।

bhagavaan kee bhakti

यह संसार हमें बार-बार धोखा देता है। हमारे अपने लोग भी हमें छोड़ देते हैं। परंतु भगवान का प्रेम अपरिवर्तनीय है। अगर कोई कमी है, तो वह हमारी ओर से होती है, उनकी ओर से नहीं। भगवान की ओर से हमेशा दुलार ही मिलता है, कृपा ही होती है। यह संसार कपटी और छलिया है, लेकिन भगवान का प्रेम शाश्वत है।

स्वार्थ और सच्चे प्रेम का भेद – भगवान की भक्ति.

हम अक्सर अपने आपको सबसे अधिक प्यार करते हैं। अपने शरीर की रक्षा के लिए हम कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। अगर हमें कोई बीमारी हो जाए, तो हम उसे तुरंत ठीक करने के उपाय खोजते हैं। लेकिन जब हमें समझ में आता है कि यह संसार क्षणभंगुर है और केवल भगवान ही सच्चे प्रेम के योग्य हैं, तभी हम अपनी माया और मोह से मुक्त हो सकते हैं।

यदि हमें यह पता चल जाए कि हम गंभीर रोग से ग्रस्त हैं, तो हम अपने शरीर के किसी अंग को कटवाने के लिए भी तैयार हो जाते हैं, क्योंकि हम अपने जीवन को सबसे अधिक प्रिय मानते हैं। लेकिन अगर हम इस संसार के मोह से उतनी ही तत्परता से भगवान की ओर मुड़ें, तो हमें सच्ची शांति और आनंद मिलेगा।

संसार की माया और भगवत कृपा – माया का प्रभाव,

माया का प्रभाव:- यह संसार कपटी और छलिया है। प्रेम तो केवल भगवान की कृपा से ही मिलता है। संसार में जितना भी प्रेम दिखता है, वह केवल स्वार्थ से प्रेरित होता है। जब तक किसी का स्वार्थ पूरा होता है, वह हमारे साथ रहता है, लेकिन जैसे ही उसका मन बदलता है, वह हमें छोड़ देता है।

भगवान का प्रेम इससे भिन्न है। वह अपने भक्तों को कभी नहीं छोड़ते। उनके प्रेम में कोई स्वार्थ नहीं होता। जब हम भगवान के सच्चे प्रेम में बंध जाते हैं, तो संसार के सभी बंधन अपने आप टूट जाते हैं।

सत्संग से ज्ञान और मार्गदर्शन – जीवन में सत्संग का महत्व.

जीवन में सत्संग का महत्व:- सत्संग सुनना हमारे जीवन में असीमित महत्व रखता है। यह हमारे मन को शुद्ध करता है और हमें भगवान के प्रति प्रेम उत्पन्न करता है। जैसे-जैसे हम सत्संग सुनते हैं, हमें यह समझ में आने लगता है कि संसार के सभी बंधन अस्थायी हैं। केवल भगवान के चरणों में ही सच्ची शांति है।

bhagavaan kee bhakti: maaya ke bandhanon se mukti aur shreejee ke charanon mein sachchee sharan

मारकंडे जी ने अपने उपदेश में कहा था कि हमें भगवान की भक्ति में रत होना चाहिए। यह संसार केवल माया का पर्दा है, जो हमारे सामने छल कर रहा है। हमारी असली मंजिल भगवान हैं, और उनका भजन ही हमें उनसे जोड़ सकता है।

निष्कर्ष: सच्ची शांति और मुक्ति का मार्ग

जब संसार हमें ठुकराता है और हम अपने आपको अकेला महसूस करते हैं, तब हमें समझना चाहिए कि यह भगवान की कृपा है। यही वह समय होता है जब हमें अपने अंदर झांकने और भगवान की शरण में जाने का अवसर मिलता है।

संसार का प्रेम अस्थायी है, लेकिन भगवान का प्रेम शाश्वत और अटूट है। हमें सत्संग सुनना चाहिए, भगवान का भजन करना चाहिए, और उनके चरणों में अपना जीवन समर्पित करना चाहिए। यही हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य है, और यही हमें सच्ची शांति प्रदान करेगा।

bhagavaan kee bhakti: maaya ke bandhanon se mukti aur shreejee ke charanon mein sachchee sharan

All credit to #Bhajan Marg by Param Pujya Vrindavan Rasik Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj, Shri Hit Radha Keli Kunj, Varah Ghat, Vrindavan Dhammore.

Complete details visit this video:- https://youtu.be/69SmdcffnnI?si=jGV6Tr2ed1Bp3w58

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